Gold loan Rules: अगर आप भी अपने सोने के बदले कर्ज लेने का सोच रहे हैं या पहले से गोल्ड लोन चला रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे। इन बदलावों का असर सीधे ग्राहकों पर पड़ेगा , खासकर उन पर जो छोटे कर्ज (2.5 लाख रुपये तक) के लिए अपना सोना गिरवी रखते हैं।

आइए जानते हैं, आखिर आरबीआई ने ये नियम क्यों बदले, और आपको क्या फायदा मिलने वाला है
🔹 गोल्ड लोन मार्केट कितनी तेजी से बढ़ रहा है?
भारत में सोने के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, और इसके साथ ही गोल्ड लोन मार्केट भी तेजी से बढ़ रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का गोल्ड लोन बाजार हर साल औसतन 30% की दर से बढ़ रहा है।
ICRA और RBI के अनुसार अगस्त 2025 तक बैंकों और एनबीएफसी (NBFCs) के सोने के बदले कर्ज 2.94 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए।
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वहीं CRIF रिपोर्ट बताती है कि जून तक गोल्ड लोन पोर्टफोलियो 13.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका था।
यानी साफ है , भारत में गोल्ड लोन अब एक बड़ा फाइनेंशियल ट्रेंड बन चुका है।
🔹 आरबीआई ने क्यों किए बदलाव?
अब सवाल आता है , RBI ने अचानक गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बदलाव क्यों किए?
दरअसल पिछले कुछ सालों में गोल्ड लोन सेक्टर में कई अनियमितताएं देखने को मिलीं।

कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं
- छोटे ग्राहकों की हिस्सेदारी 60% तक पहुँच चुकी है, यानी ज्यादातर लोग 2.5 लाख रुपये तक के छोटे लोन ले रहे हैं।
औसत लोन साइज सिर्फ ₹70,000 है और ये ज्यादातर ज्वेलरी के बदले लिया जाता है। - रोलओवर (Loan Renewal) में तेज वृद्धि –
लोग ब्याज भरकर लोन बढ़ाते जा रहे थे लेकिन मूलधन नहीं चुका रहे थे। इससे डिफॉल्ट का रिस्क बढ़ने लगा। - सोने के गलत मूल्यांकन और गैर-पारदर्शी नीलामी के मामले बढ़े।
कई बैंक और एनबीएफसी अतिरिक्त शुल्क वसूल रहे थे और गिरवी रखे सोने की बिक्री में पारदर्शिता नहीं रखी जा रही थी। - ग्राहकों की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं –
खासकर सोने की वापसी में देरी, ज्यादा चार्जेस और सही वैल्यू न मिलने को लेकर।
इन्हीं कारणों से RBI ने नए नियम बनाकर ग्राहक सुरक्षा और पारदर्शिता पर ज़ोर दिया है।
🔹 अब गोल्ड लोन से सोना, सिक्का या ETF नहीं खरीद पाएंगे
नई नीति के तहत अब सोना, सिक्के या गोल्ड ETF खरीदने के लिए लोन नहीं मिलेगा। लोन सिर्फ गिरवी रखे गए स्वर्ण आभूषण या सिक्कों के बदले ही लिया जा सकेगा।
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इससे यह सुनिश्चित होगा कि लोन का उपयोग निवेश के बजाय ज़रूरी खर्चों या बिजनेस ज़रूरतों में ही हो।
🔹 लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात के नए नियम
LTV यानी Loan-to-Value रेशियो का मतलब होता है,
आपके गिरवी रखे सोने की कीमत के मुकाबले बैंक आपको कितना लोन देगा।
अब RBI ने इसमें भी नई सीमाएं तय की हैं
लोन अमाउंट नया LTV अनुपात फायदा
- ₹2.5 लाख तक 85% छोटे ग्राहकों को ज्यादा रकम मिलेगी
- ₹2.5 – ₹5 लाख 80% मिड-रेंज ग्राहकों के लिए संतुलित वैल्यू
- ₹5 लाख से अधिक 75% बड़े कर्ज पर रिस्क कंट्रोल रहेगा
इसका मतलब, जो ग्राहक छोटे लोन (2.5 लाख तक) लेते हैं, उन्हें अब पहले से ज्यादा रकम मिल सकेगी।
🔹 सोने का मूल्यांकन कैसे होगा?
RBI ने सोने के मूल्यांकन को लेकर भी नया फार्मूला तय किया है ताकि बैंकों और एनबीएफसी द्वारा गलत वैल्यू न दी जाए।
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अब सोने का मूल्य तय होगा
- IBJA (India Bullion and Jewellers Association) या SEBI रेगुलेटेड दरों के अनुसार
- 30 दिनों की औसत कीमत या पिछले दिन की दर में से जो कम होगी, उसी को मान्य किया जाएगा।
- इससे सोने की वैल्यू तय करने में पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों को नुकसान नहीं होगा।
🔹 कर्ज चुकाने का नया नियम – रोलओवर खत्म
पहले क्या होता था? लोग सिर्फ ब्याज राशि चुका कर गोल्ड लोन को बार-बार रोलओवर (नवीनीकरण) करवा लेते थे।
इससे लोन सालों तक चलता रहता था और मूलधन वापस नहीं होता था।
अब RBI ने यह तरीका खत्म कर दिया है। नए नियम के अनुसार:
- लोन लेने के 12 महीने के भीतर मूलधन और ब्याज दोनों चुकाने होंगे।
- अगर समय पर भुगतान नहीं किया, तो बैंक नीलामी प्रक्रिया शुरू कर सकेगा।
- इससे डिफॉल्ट के मामलों में कमी आएगी और सिस्टम ज़्यादा पारदर्शी बनेगा।
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🔹 सोने की वापसी, अब देरी पर जुर्माना
RBI ने सोना वापसी में होने वाली देरी को भी गंभीरता से लिया है।
नया नियम:
अगर ग्राहक ने पूरा कर्ज चुका दिया है, तो बैंक या एनबीएफसी को 7 कार्य दिवसों के भीतर गिरवी सोना वापस करना होगा।
अगर देरी की गई तो ₹5,000 प्रतिदिन का जुर्माना देना पड़ेगा।
यह कदम ग्राहकों के हित में है ताकि किसी को भी अपने आभूषण वापसी के लिए महीनों इंतजार न करना पड़े।
🔹 नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता
अगर कोई ग्राहक डिफॉल्ट करता है और बैंक को सोना नीलाम करना पड़ता है, तो अब यह प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी होगी।
RBI के नए नियमों के अनुसार:
- नीलामी से पहले ग्राहक को सूचना देना जरूरी होगा।
- नीलामी का रिज़र्व मूल्य बाजार भाव के 90% पर तय किया जाएगा।
- ग्राहक चाहें तो प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं या प्रतिनिधि भेज सकते हैं।
- इससे बैंक मनमाने दामों पर सोना बेच नहीं पाएंगे और ग्राहकों के हित सुरक्षित रहेंगे।
🔹 ग्राहकों के लिए जरूरी सावधानियां
आरबीआई ने साथ ही ग्राहकों को कुछ बातें ध्यान में रखने की सलाह भी दी है
- लोन लेने से पहले बैंक या एनबीएफसी की ब्याज दरों की तुलना करें।
- हमेशा मूल्यांकन सर्टिफिकेट और LTV विवरण अपने पास रखें।
- जो सोना आपके पास नहीं है या पहले से गिरवी रखा गया है, उसे दोबारा गिरवी न रखें।
- सभी दस्तावेज ध्यान से पढ़ें , खासकर नीलामी शर्तें और प्रोसेस।
🔹 छोटे ग्राहकों के लिए बड़ा फायदा
इन नए नियमों से सबसे ज्यादा फायदा छोटे ग्राहकों को होगा। पहले जहां बैंकों से लोन लेने में कई मुश्किलें थीं, अब न केवल ज्यादा रकम मिलेगी बल्कि सोना वापस मिलने की गारंटी भी समय पर होगी।
85% LTV मिलने से छोटे ग्राहक अब अपने सोने के बदले ज्यादा लोन प्राप्त कर पाएंगे।
7 दिन में सोना वापसी की शर्त से ग्राहक का भरोसा बढ़ेगा।
पारदर्शी नीलामी और जुर्माने का नियम ग्राहकों के हक की सुरक्षा करेगा।